घर के बजाय इंसान को यदि जन्नत जैसी जगह भी रहने को मिल जाए फिर भी वह अपने घर जितनी प्यारी नहीं लगती। लेकिन मुझे पहली बार घर के बजाय उस क्वारंटाइन सेंटर में रहना गनीमत लगा। 14 दिन की क्वारंटाइन अवधि पूरी कर घर पहुंची युवती का कहना है कि उसका घर तो क्वारंटाइन सेंटर से चंद गज के फासले पर ही है लेकिन घर नहीं जा सकी। हालांकि दिल ने काफी चाहा कि घर जाकर मां के हाथ से बने मजेदार गाड नदरू (कमल ककड़ी व मछली) खाऊं और अपने कमरे में लंबी नींद लूं जो कि छुट्टियों में हमेशा करती थी। इस बार मन मारना पड़ा। इसकी वजह थी कि मैं नहीं चाहती थी कि घर जाने से परिवार के लोग किसी मुसीबत में पड़ जाएं।
यह 14 दिन मैंने गिन-गिन के खुदा से दुआ मांगते गुजारे कि टेस्ट पॉजिटिव न आए और मैं स्वस्थ घर जा सकूं। शुक्र है कि मेरी दुआ खुदा ने सुन ली। टेस्ट निगेटिव आ गया। मेडिकली भी फिट साबित हुई। 14 दिन के वनवास के बाद मैं आज अपने घर पर हूं। हालांकि उसे यहां 14 दिन होम क्वारंटाइन पर रहना होगा।
