जांच करने गए अफसरों को जरा सा भी ऐसी घटना होने का अंदाजा नहीं था। बातचीत के दौरान अचानक गोली चलने से भगदड़ मच गई। अफसरों
परासपट्टी मझवार में हुए दोहरे हत्याकांड ने सिर्फ ग्रामीणों की, बल्कि अफसरों की भी नींद उड़ा दी है। जांच करने गए अफसरों को जरा सा भी ऐसी घटना होने का अंदाजा नहीं था। बातचीत के दौरान अचानक गोली चलने से भगदड़ मच गई। अफसरों ने किसी तरह भागकर जान बचाई। दहशत में अफसरों ने दूसरे दिन भी कॉल रिसीव नहीं की।
बताया जाता है कि मनरेगा के तहत काम करने वाले जॉबकार्ड धारकों के खाते में मजदूरी का भुगतान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पूर्व किया था। श्रमिकों के खाते से प्रधान समर्थक व रोजगार सेवक द्वारा बैंक जाकर पैसा निकलवाने के बाद लेने की शिकायत दूरभाष के माध्यम से अफसरों से की गई थी। जिस पर मामले की जांच के लिए अफसरों की एक टीम भेजी गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सायं करीब चार बजे जांच टीम प्राथमिक विद्यालय पूरेसंगम पहुंची। जांच टीम के सामने दोनों पक्षों ने अपनी बात रखना शुरू किया था। इसी दौरान हुई फायरिग के बाद जांच करने गए अफसर भी चुप हैं। उपायुक्त श्रम एवं रोजगार हरिशचंद्र राम प्रजापति के मोबाइल पर कॉल की गई लेकिन, कॉल रिसीव नहीं हुई। बीडीओ तरबगंज केके सिंह ने कॉल रिसीव तो किया लेकिन, परिचय देने के बाद फोन काट दिया। जबकि एपीओ गिरजेश पांडेय का मोबाइल स्विच ऑफ होने से संपर्क नहीं हो सका। सीडीओ शशांक त्रिपाठी को भी फोन किया गया लेकिन, उनका फोन नहीं उठा।
