इस पर लोग पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। परास गांव में देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ लाठी व
दो दशक पहले से ही परास पट्टी मझवार गांव में वर्चस्व की जंग चल रही है। पंचायत चुनाव से पहले हुई
इस वारदात के बाद पुलिस अब सभी पुराने मामलों को खंगालने में जुट गई है।
वर्ष 1990 के पंचायत चुनाव में अतुल सिंह के बाबा रणछोड़ सिंह और लाठी सिंह प्रधानी की कुर्सी के लिए आमने-सामने थे। उस चुनाव में रणछोड़ सिंह चुनाव जीत गए थे। 1995 में यह सीट अन्य पिछड़ावर्ग के खाते में चली गई। जिसमें लाठी सिंह ने अपने करीबी को चुनाव मैदान में उतरा और उसने जीत हासिल कर ली। इसके बाद वर्ष 2015 तक प्रधानी की कुर्सी इन्हीं के इर्द गिर्द रही। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी हुए विवाद में लाठी सिंह घायल हो गए थे। वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में भी गोली चली थी। जिसमें अतुल सिंह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने में सफल हुए थे। विधान सभा चुनाव के दौरान भी दोनों गुटों के बीच विवाद हुआ था। अब एक बार फिर पंचायत चुनाव की तैयारी के बीच इस वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
