बांका मंदिर के समीप चांदन नदी के किनारे गौरीपुर-वनवर्षा गांव में बनवारा जाति की बड़ी आबादी बसती है। छह सौ मतदाता वाले इस गांव की जीविका दैनिक मजदूरी से चलती है। यह आबादी शिक्षा, विकास और रहन-सहन में पूरी तरह पिछड़ा हुआ है। लॉकडाउन ने इस गांव के पांच सौ मजदूरों को पूरी तरह लाचार कर दिया है।
पिछले कई सालों से इनकी रोजी-रोटी बालू उठाव से चलती थी। बालू उठाव में मजदूरों की बढ़ी मांग ने अधिकांश लोगों को परदेश छुड़ा दिया। हर दिन हर जोड़ी हाथ दो से चार सौ रुपये लेकर घर आता था। नदियां ही इनके जीवन का सहारा बन गया था। लेकिन पिछले 12 दिन से काम बंद होने पर इन परिवारों की हालत पतली हो गई है। पूरी तरह दैनिक मजदूरी पर सुलगने वाला चूल्हा काम बंद होने से ठंडा पड़ गया है। नतीजा, पूरा गांव पिछले दो-तीन दिन से नदियों में उतरा हुआ है। हर गड्ढे में कोई न कोई परिवार मछली पकड़ने में जुटा है।
