शुक्रवार को वैसे लॉकडाउन को देखते हुए प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किए थे लेकिन, उमरी के परास गांव में हुई गोलीबारी की घटना ने उसके दावों की पोल खोल कर रख दी है। इस गांव में पहले भी दोनों गुटों के बीच विवाद हो चुका है। वर्चस्व की जंग पिछले कई सालों से चल रही है। पिछले पंचायत चुनाव के दौरान भी गोली चली थी। इसके बाद समय-समय पर दोनों गुट अपनी ताकत का अहसास कराते रहे हैं।
लॉकडाउन के कारण मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी भुगतान के लिए श्रमिकों के खाते में सीधे धनराशि भेजी गई है। इसी रुपये को निकालने के लिए परासपट्टी मझवार गांव में मनरेगा श्रमिक आए थे। आरोप है कि कुछ लोग यहां पर मनरेगा श्रमिकों से वसूली कर रहे थे। इसकी शिकायत पर जांच के लिए पहुंची अफसरों की टीम को रास्ता दिखा रहे देवेंद्र प्रताप सिंह लाठी सिंह को देखते ही दूसरे गुट ने फायरिग शुरू कर दी।
