रांची की एक महिला कोरोना के डर से सब्जी एवं अन्य खाद्यान्न घर लाने के बाद उसे घंटों धूप में सुखाती है। एक दिन गलती से सब्जी रात में छत पर छूट गई और पूरे परिवार ने उसे खा भी लिया। अब उस महिला को यह भय सता रहा है कि कहीं रात में चमगादड़ ने सब्जी को जूठा कर दिया हो तो पूरे परिवार को कोरोना हो जाएगा। जमशेदपुर के सनातन (बदला हुआ नाम) को यह चिंता सता रही है कि लगातार काम बंद रहने से उसकी नौकरी तो नहीं छूट जाएगी।
कोरोना के वर्तमान संकट और लॉकडाउन की स्थिति में चिंता और डर के कारण लोग परेशान हैं। उनके अवसाद में जाने का भी खतरा है। लोगों में कोरोना को लेकर भ्रम भी है। एसोसिएशन ऑफ साइकेट्रिक सोशल वर्क प्रोफेशनल द्वारा संचालित हेल्पलाइन नंबर पर लगातार ऐसे लोगों के फोन आ रहे हैं। कई लोग अपने बच्चों के लगातार घर में रहने के कारण उनके चिड़चिड़े होने की शिकायत करते हुए इसका समाधान भी मनोरोग चिकित्सकों से पूछ रहे हैं। माइनिंग सरदार के रूप में काम करनेवाले एक व्यक्ति को यह डर है कि खनन क्षेत्र में डस्ट होने से भी उन्हें कोरोना न हो जाए।
