कोरोना के खौफ के बीच खाड़ी देशों से तीन महीने में आए हजारों यात्रियों को खोजना स्थानीय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। बाहर से आने वाले यात्रियों के स्वत: घोषणापत्र भरने की व्यवस्था लागू होने से पहले विदेश से लखनऊ के रास्ते प्रदेश के विभिन्न जिलों में आए करीब एक लाख से अधिक ऐसे लोगों के बारे में जानकारी ही नहीं मिल रही है। अब पासपोर्ट का डाटा जांचकर इन तक पहुंचने की कवायद की जा रही है। इसमें विदेश मंत्रालय की भी मदद ली जाएगी।
दरअसल, कोरोना प्रभावित 11 देशों से आने वाले यात्रियों के लिए अपनी पूरी जानकारी का घोषणापत्र भरने का आदेश छह मार्च से लागू किया गया। इससे पहले रियाद, दुबई, मस्कट, जेद्दा, बैंकाक सहित कई जगहों से चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर बड़ी तादाद में यात्री आए थे। ये यात्री लखनऊ के अलावा पूर्वांचल के गोंडा, बस्ती, बहराइच, उन्नाव आदि जिलों के रहने वाले हैं। विदेश मंत्रालय के पास छह मार्च के बाद से लखनऊ आने वाले सभी यात्रियों के पते और उनकी हिस्ट्री मौजूद है, जबकि इससे पहले आने वाले लोगों का कुछ पता नहीं है। इनके पासपोर्ट के डाटा से इनका पता लग सकता है, जो कि विदेश मंत्रालय के पास है। विदेश मंत्रालय को एक गोपनीय सूचना भी मिली है। इसके मुताबिक, कृष्णानगर के बड़े व्यापारी के एनआरआइ रिश्तेदार को कई दिन कोलकाता में छिपाकर रखने और फिर लखनऊ लाया गया है।
