लंबे सियासी संग्राम के बाद शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन अब तक उनकी सरकार अधूरी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के योगदान से बनी भाजपा की सरकार के वे एकमात्र चेहरे हैं। शपथ लेने के लगभग आधा महीना बीतने बाद भी उनकी कैबिनेट का गठन न हो पाना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है।
कोरोना संकट से जूझती राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए कैबिनेट का होना बहुत ही जरूरी है। राज्य के हित में लिए जाने वाले फैसलों पर कैबिनेट की मुहर संवैधानिक अनिवार्यता भी है। ऐसे में काम चलाने के लिए सरकार को कार्योत्तर अनुमोदन की प्रक्रिया का सहारा लेना पड़ रहा है।
