फरीदाबाद : हमें तो यहां आकर बड़ा सहारा मिल गया, बिल्डर ने तो हाथ खड़े कर दिए थे। बोला(बिल्डर)की लॉकडाउन के चलते काम नहीं है, पैसे नहीं हैं, तो सब अपने गांव चले जाओ, हालात ठीक हो जाएं, तो लौट आना। इसलिए मैं तो दिल्ली से यहां राधा स्वामी सत्संग ब्यास के सत्संग घर में बने आश्रय स्थल में आ गया। मेरे साथ मेरी माता चंदाबाई, पत्नी सुनीता, बेटी नंदिनी और साथ ही भाई दिनेश और सुरेंद्र भी हैं। टीकमगढ़, मध्य प्रदेश के मूल निवासी सुखदीन ने कुछ इस तरह हालात बयां किए।
सुखदीन अपने परिवार के साथ लोधी रोड, भारतीय नगर, दिल्ली में कई महीनों से पत्नी सहित मजदूरी कर रहे थे। एक बिल्डर का काम चल रहा था। हालात बिगड़े तो बिल्डर ने साथ देने से मना कर दिया। इसलिए परिवार सहित पैदल ही गांव की ओर रवाना होने लगा था। रास्ते में कुछ समय दूसरे आश्रय स्थल में बिताया। पुलिस के सहयोग से फिर अपने परिवार सहित सूरजकुंड स्थित राधा स्वामी सत्संग ब्यास के सत्संग घर में आ गए। इस शेल्टर होम में सुखदीन सहित 209 प्रवासी मजदूर और परिवार के सदस्य हैं, जो दिल्ली तथा गुरुग्राम में ही मजदूरी करते थे।
